ज्युडीशियल टेररिज्म से लोग परेशान: जस्टिस शेठना

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अहमदाबाद।राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.जे. शेठना ने कहा कि देश में ज्युडीशियल टेररिज्म भी है, जिससे आम लोग परेशान हो रहे हैं। आईबी के पूर्व स्पेशल डायरेक्टर राजेन्द्र कुमार के बयानों का उल्लेख करते हुए कहा कि वर्ष 2004 से 2014 के दौरान आतंकवादियों के विरुद्ध लड़ाई लडऩे वाले गुजरात पुलिस के अधिकारियों के साथ जो हुआ वो दु:खद है।
कहीं न कहीं वर्ष 1995 और उसके बाद इन अधिकारियों के साथ जो हुआ उस दौरान न्यायतंत्र की स्वतंत्रता और सिद्धांत भुला दिया सा लगता है। वे अहमदाबाद में आतंकवाद पीडि़तों की मदद करने के लिए बनाए गए गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) जस्टिस फॉर विक्टिम्स ऑफ टेररिज्म (जेवीटी) के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि आतंकवाद के विरुद्ध लडऩे वाले पुलिस अफसरों को जेल में रहना पड़ा, एक बड़े नेता को भी जेल जाना पड़ा। उस समय जिन कोर्ट ने कहा था कि इनके विरुद्ध प्रथमदृष्टया सबूत हैं। आखिरकार बाद में दूसरी कोर्ट ने इन्हें कैसे जमानत पर छोड़ दिया। फिर सवाल उठता है कि कौन सी कोर्ट सही थी। उन्होंने कहा कि अफसरों ने जो इतने साल जेल में बिताए उसका मुआवजा कौन देगा? जस्टिस शेठना ने जजों की नियुक्ति वाले कॉलेजियम को लेकर छिड़े विवाद पर कहा कि इसमें भी भांग बटाई चल रही है, जिसके चलते ज्युडीशियल आतंकवाद से आम जनता परेशान हो रही है। दो साल पहले जहां 40 फीसदी जजों के पद रिक्त थे, वो बढ़कर 60 फीसदी हो गए हैं। लोगों को त्वरित न्याय नहीं मिल पा रहा है। कई मामलों में तो आरोपी 14 साल की सजा काट कर बाहर आ जाता है तब सुनवाई होती है और वो निर्दोष छूट जाता है।

सीबीआई के पूर्व निदेशक पर लगाए गंभीर आरोप

अहमदाबाद. इशरत जहां मुठभेड़ मामले में सीबीआई की जांच में आरोपों का सामना करने वाले इंटेलीजेंस ब्यूरो के पूर्व निदेशक राजेन्द्र कुमार ने सीबीआई के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा पर गंभीर आरोप लगाए। कार्यक्रम में राजेन्द्र कुमार ने सिन्हा पर आरोप लगाया कि उन्होंने गुजरात के एक राजनेता के साथ मिलकर मुठभेड़ करने वाले गुजरात के पुलिस अधिकारियों व इसका इंटेलीजेंस इनपुट देने के चलते उनके विरुद्ध साजिश रची। कईयों को झूठे सबूत बनाकर जेल भिजवाया। कई ऐसी जानकारियों सार्वजनिक की जो इससे पहले सार्वजनिक नहीं की गईं।

इनके बिना भी सीबीआई आरोप-पत्र दायर कर सकती थी। ऐसा जानबूझ कर किया गया। नई सरकार के बनने के ढाई साल बाद भी सिन्हा पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। उनकी मांग है कि आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई लडऩे वाले अधिकारियों के विरुद्ध साजिश रचने वाले सिन्हा व अन्य सीबीआई अफसरों के विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए। 2जी और कोलगेट में भी गुजरात के नेता को बचाया। ऐसे नेता और अफसरों के चलते पुलिस के अधिकारियों का मनोबल टूटा है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद पीडि़तों को शहीद मानते हुए उनके परिवार को 50 लाख रुपएं की आर्थिक मदद, 25 हजार की मासिक पेंशन और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देनी चाहिए।